झूठा ही सही फिर भी ये श्रम टूट न जाये

झूठा ही सही फिर भी ये श्रम टूट न जाये धरती से जुड़े रहने का भ्रम टूट न जाये   इस देह से बाहर तू कभी आ नहीं सकता जब तक तेरे भीतर का अहम् टूट न जाये   जीवन के कटु सत्य की ताबीर हैं लहरें बन-बन के बिखरने का ये क्रम टूट न … Continue reading झूठा ही सही फिर भी ये श्रम टूट न जाये